लेखनी कहानी -21-Jun-2022 अंजुमन
अधूरे रह गए जिनके मुहब्बत के सफ़र
अक्सर उन्ही के शेर पर अंजुमन कहती है मुकर्रर।
हर किसी को किसी न किसी से होता है शिकवा-गिला
यूंही नहीं चलते जा रहा है ये अंजुमन का सिलसिला।
दीवाने जहां बैठ जाए वहा वहा अंजुमन है
और तुम कहते हो कलम बस एक सामान है।
Seema Priyadarshini sahay
22-Jun-2022 10:48 AM
बेहतरीन रचना
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Saurabh Patel
22-Jun-2022 05:19 PM
जी बहुत शुक्रिया आपका
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Gunjan Kamal
21-Jun-2022 02:19 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻
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Saurabh Patel
21-Jun-2022 02:45 PM
जी बहुत शुक्रिया आपका
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Arvaz Ahmad
21-Jun-2022 01:25 PM
Waah
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Saurabh Patel
21-Jun-2022 02:08 PM
Shukriya
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